हमारी जिंदगी का सबसे महत्वपूर्ण समय होता है टीनएज। ये ऐसा समय होता है जब हमारे भीतर तमाम शारीरिक एवं मानसिक बदलाव आते हैं। बलवस्था और युवावस्था के बीच का यही समय होता है जब हम भविष्य के निर्माण कि नीव रखते हैं। अगर नीव थोड़ी सी भी कमजोर पड़ी तो सारा जीवन लक्ष्यहीन हो जाता है। सभी माँ बाप बच्चों की इस जीवनकाल के दौरान डरे सहमे रहते हैं। उन्हें दिन रात उनके भविष्य चिंतन का डर लगा रहता है।
यही समय होता है जब ये बच्चे अपना घर छोड़ अपने अपने शहरों से दूर अपने भविष्य निर्माण के लिए निकल पड़ते हैं। कुछ तो अपना जीवन लक्ष्य प्राप्त करके ही लौटते हैं और कुछ दुर्भाग्यवस कामयाबी के मुहाने तक पहुँच कर लौट आते हैं। और उन्हीं बच्चों में से कुछ ऐसे भी होते हैं जो अपना लक्ष्य शहरों कि गलियों में कहीं खो आते हैं। उन्हें शहरों की चकाचौंध अँधा कर देती है। वो अपने सपनो की उड़ान तो भरते हैं लेकिन हवा का एक तेज झोंका उन्हें उनके सपनो सहित कहीं दूर अंधकार में धकेल देता है।
कारण एक नहीं अनेक होते हैं, कभी माँ बाप जिम्मेदार होते हैं तो कभी बच्चे और कभी हालात। लेकिन अकसर हम हालातों को कोसते हैं जो ठीक नहीं क्यूंकि हालातों को हमारी मानसिकता ही उपजाति है।
बालकों में नशा किसी संक्रामक रोग की तरह फ़ैल रहा है। पब, क्लब और दोस्तों के साथ पार्टियां करना एक स्टाइल बन चुका है और यही वो जगह हैं जो बच्चों के जीवन में नशे का ग्रहण लगा रही हैं। बच्चे देर से घर लौटते हैं लेकिन कुछ माँ बाप ऐसे होते हैं जो उनसे ये पूछने कि हिम्मत नहीं कर पाते की वो इतनी रात कहाँ से आ रहे हैं। वो बच्चे जो ज्यादा पैसा खर्च नहीं कर पा रहे वो आसानी से नशे कि गोलियां, कफ सिरप, थिनर, और ना जाने क्या क्या चीजों का इस्तेमाल कर खुद को नशे के दलदल में कैद करते जा रहे हैं। कई बार इन नशीले पदार्थों के सेवन के लिए धन न होने कि दशा में कोई भी गैर कानूनी कृत्य करने से भी नहीं चूकते।
बालिकाओं में भी नशा हावी होता जा रहा है, और नशा नशीले पदार्थों का ही नहीं बल्कि मेहेंगे शौक पूरे करने का भी। और ये ऐसा नशा है जिसे पूरा करने के लिए ये किसी के साथ शारीरिक सम्बन्ध बनाने से भी नहीं चूकतीं।
इन बच्चों को जरूरत है प्यार की सम्मान की और हम सब की देखरेख की। हमें जरूरत है इन्हे समझने की और समझने की। ऐसा नहीं है कि ये सब रोका नहीं जा सकता, ग़र मिलके कोशिश करें तो शायद जरूर। इन बच्चों कि जिंदगियों का हम आयना हैं, जो कुछ ये हममें देखेंगे खुद को भी वैसा ही पाएंगे।
आज फिर दिल से कुछ निकल बैठा है.………