वो जो कहता है दोस्त मुझे
कभी अपना ना था, और
ये दोस्त होकर भी
पराया क्यूँ लगता मुझे ........
ये तो नजरें मिलाकर भी
फेर लेता है ऑंखें, और
वो जो ऑंखें ही नहीं मिलाता
नजरों में बस गया है।
दिल धड़कता तो है
न जाने ये धड़कन है किसकी
उसकी, जिसका दिल ही नहीं
या वो जो मेरा नहीं ......
मुश्किल है ये बता पाना
कौन अपना कौन पराया
वो जो नजरें मिलाता है, या
फिर वो जो नजरें छिपाए बैठा है।