Friday, February 25, 2011

स्वप्न

कुछ ही पल में मैं जिंदगी के चालीसवे पड़ाव में कदम रखने जा रहा हूँ। सोचा, क्यों न कुछ नया करू अपने जीवन के इस नए वर्ष में। जब से होश सम्बहाला सपने बहुत प्यारे थे मुझे, हर वक़्त सपने देखा करता था। आज सपने साकार होने लगे तो लगता है कही स्वप्न तो नहीं। हाँ, सपनो का बहुत बड़ा रिश्ता है जिंदगी से। सपने अक्सर हकीकत में बदल जाते है, अगर सोच अच्छी हो तो। अथवा वो मुंगेरी लाल के हसीं सपने बने रह जाते है। लिखना नहीं आता है मुझे, सिर्फ एक कोशिश करता हूँ .......................................................दिल से ।

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