Monday, February 28, 2011

नमस्कार आज का दिन काफी गर्म था लेकिन शाम को फिर से ठण्ड बढ़ने लगी। ऐसा हमेशा होता है, आपको याद होगा घर वाले कहते थे, " स्कूल कालेज खुलं भगत ठंडा जरूर है जाँ"......... होता भी ऐसा ही है ठीक स्कूल्स खुलने के समस मौसम ख़राब हो ही जाता है। मॉडर्न बुक डिपो, कंसल, नयना, नैनी विद्या भवन, शाह पुस्तक भंडार ......... सभी की चल पड़ती है............किताबें खरीदो जिल्द लगाओ प्रकार चंदा तैयार करो........... जूते पलिस करना........ सुबह सुबह दाल भात खा लेना , सब कैसा लगता था.......... तीन महीने की छुट्टियाँ कब ख़त्म हो गई पता ही नहीं चलता था । मुझे याद है हम गौलापार से एक हफ्ते पहले नैनीताल आ जाते थे , और हाँ टक्सी से आते थे बस से नहीं....... नैनीताल का मतलब पदाई ही होता था........ मगर आज वो नैनीताल कहाँ चला गया , नजर नहीं आता....... वो बीता हुआ पल बहुत अच्छा था । समय तो वापस नहीं आ सकता है लेकिन उस समय को अपनाया जा सकता है..........

No comments:

Post a Comment